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One Nation One Election: India के लिए क्यों है यह अहम? जानें पूरी जानकारी

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भारत एक विशाल लोकतांत्रिक देश है, जहां हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। अलग-अलग राज्यों के विधानसभा, पंचायत, नगरपालिका, और लोकसभा चुनावों के चलते चुनावी प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। इन चुनावों का देश पर राजनीतिक, आर्थिक और प्रशासनिक असर होता है।

ऐसे में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) की अवधारणा पर चर्चा शुरू हो चुकी है। यह विचार है कि देशभर में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जाएं ताकि चुनावी प्रक्रियाओं के दौरान होने वाले खर्च और समय की बचत हो सके।

इस प्रणाली के कई महत्वपूर्ण पहलू हैं जो इसे भारत के लिए जरूरी बनाते हैं। आइए देखते हैं कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ क्यों आवश्यक है:

1. चुनावी खर्च में कमी

चुनाव कराने की प्रक्रिया महंगी होती है। एक अनुमान के अनुसार, हर चुनाव में लाखों करोड़ रुपए का खर्च होता है, जिसमें सुरक्षा, वोटिंग मशीन, मतदाता जागरूकता और प्रशासनिक व्यय शामिल होते हैं। जब देशभर में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, तो सरकार को बार-बार ये खर्च उठाने पड़ते हैं।

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ से सभी चुनाव एक साथ होने पर यह खर्च काफी कम हो जाएगा। एक ही चुनाव में संसाधनों का उपयोग होने से प्रशासनिक और वित्तीय भार में भी कमी आएगी।

2. प्रशासनिक कार्यों में बाधा कम होगी

चुनावों के दौरान आचार संहिता लागू होती है, जो सरकार के प्रशासनिक और विकास कार्यों को प्रभावित करती है। जब बार-बार चुनाव होते हैं, तो विकास योजनाओं और सरकारी कार्यों पर रोक लग जाती है, जिससे देश की प्रगति प्रभावित होती है।

यदि सभी चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो विकास कार्यों में चुनावी बाधा कम होगी और सरकार को लंबी अवधि तक काम करने का मौका मिलेगा।

3. सरकारी संसाधनों का बेहतर उपयोग

चुनावों के दौरान सुरक्षा बलों, प्रशासनिक अधिकारियों, और अन्य सरकारी संसाधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। एक चुनाव समाप्त होता है और दूसरे की तैयारी शुरू हो जाती है, जिससे संसाधनों पर भारी दबाव पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से इन संसाधनों का उपयोग बेहतर तरीके से किया जा सकेगा, और बार-बार इन पर बोझ नहीं पड़ेगा।

4. स्थिरता और बेहतर शासन

लगातार होने वाले चुनाव राजनीतिक अस्थिरता पैदा करते हैं। चुनावी माहौल में राजनीतिक दल और नेता जनता से जुड़ने के बजाय अपने चुनावी प्रचार में लगे रहते हैं। इससे दीर्घकालिक योजनाओं और नीतियों पर असर पड़ता है। अगर देशभर में एक साथ चुनाव होंगे, तो सरकारें लंबे समय तक स्थिरता से काम कर सकेंगी और जनता का ध्यान केवल विकास पर रहेगा।

5. राजनीतिक ध्रुवीकरण में कमी

बार-बार चुनाव होने से राजनीतिक दलों के बीच ध्रुवीकरण की स्थिति उत्पन्न होती है। चुनावों के दौरान जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्रीय मुद्दों को उभारने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है, जो समाज में विभाजन पैदा करती है।

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ से यह प्रवृत्ति कम होगी, क्योंकि सभी चुनाव एक साथ होंगे और एक समन्वित चुनावी प्रक्रिया लागू होगी।

6. स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों का अलग-अलग ध्यान

वर्तमान व्यवस्था में, जब विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग होते हैं, तो स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों में अक्सर फर्क नहीं किया जाता। राज्य चुनावों में भी राष्ट्रीय मुद्दे हावी हो जाते हैं, जिससे जनता के सामने वास्तविक मुद्दों से ध्यान हट जाता है।

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ से यह समस्या सुलझाई जा सकती है क्योंकि एक ही चुनाव में दोनों स्तरों के मुद्दे सामने रखे जा सकते हैं और जनता को बेहतर निर्णय लेने का अवसर मिलेगा।

8. दुनिया के कई देशों में सफल प्रयोग

दुनिया के कई बड़े लोकतांत्रिक देशों में एक साथ चुनाव की व्यवस्था है। अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन जैसे कई देशों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं। यह व्यवस्था इन देशों में सफल साबित हुई है, जहां चुनावी खर्च और प्रशासनिक बोझ काफी कम हो जाता है।

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की अवधारणा भारत के लिए समय की मांग है। यह न केवल चुनावी खर्च में कटौती करेगी बल्कि देश के विकास कार्यों को गति देगी। हालांकि, इसे लागू करने के लिए संवैधानिक और प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता है, और सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बनानी होगी।

भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में यह एक बड़ी चुनौती हो सकती है, लेकिन यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और भी मजबूत और प्रभावी बना सकता है। ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ न केवल भारत के विकास को गति देगा, बल्कि सरकारों को अधिक स्थिरता और दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ काम करने का मौका भी प्रदान करेगा।

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