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100% Tariff on India: Donald Trump का बड़ा ऐलान, भारत-अमेरिका व्यापार पर संकट?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump ने हाल ही में घोषणा की है कि 2 अप्रैल 2025 से 100% Tariff on India लागू किया जाएगा। यह फैसला भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। इस घोषणा के बाद से भारतीय व्यापार जगत में हलचल मच गई है। क्या यह नया टैरिफ भारत के उद्योगों को नुकसान पहुंचाएगा, या भारत सरकार कोई कड़ा कदम उठाएगी? आइए विस्तार से समझते हैं कि 100% Tariff on India का भारतीय व्यापार और अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ सकता है।
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100% Tariff on India: ट्रंप का यह फैसला क्यों आया?

Donald Trump ने अपने संबोधन में भारत पर ऊंचे शुल्क लगाने का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि भारतीय बाजार में अमेरिकी उत्पादों पर अधिक टैरिफ लगाया जाता है, जिससे अमेरिकी उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा है। ट्रंप के मुताबिक, यह नई Fair Trade Policy अमेरिकी व्यापारियों और उद्योगों को मजबूत करने का एक प्रयास है। उनका दावा है कि 100% Tariff on India लागू होने से अमेरिकी बाजार में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी कंपनियां अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगी।
क्या है इस फैसले के पीछे की रणनीति?
Trump हमेशा से ‘America First’ नीति के समर्थक रहे हैं। उनका मानना है कि यदि अन्य देश अमेरिकी उत्पादों पर अधिक टैरिफ लगाते हैं, तो अमेरिका को भी बदले में सख्त कदम उठाने चाहिए। उनकी रणनीति घरेलू उद्योगों को सुरक्षित करने और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की है।
ट्रंप ने पाकिस्तान को धन्यवाद क्यों कहा? वजह जानकर चौंक जाएंगे!
Donald Trump ने अपने भाषण में पाकिस्तान को ‘महत्वपूर्ण सहयोगी’ बताते हुए उसकी सराहना की। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह शुक्रिया किस विशेष कारण से कहा गया। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और रक्षा क्षेत्र में मजबूत साझेदारी की दिशा में बातचीत चल रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान को लेकर आगे क्या रणनीति अपनाता है।
100% Tariff on India: किन भारतीय उद्योगों को होगा सबसे ज्यादा नुकसान?
भारत पर 100% टैरिफ लगाने का सीधा असर कई सेक्टर्स पर पड़ सकता है, जिनमें IT, Pharma, Textile, और Steel उद्योग प्रमुख हैं। भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में दवाइयां, टेक्सटाइल उत्पाद, और स्टील निर्यात करता है। अगर यह टैरिफ लागू हो जाता है, तो भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाजार में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर्स:
- फार्मास्युटिकल्स (Pharma Industry): भारत दुनिया का सबसे बड़ा जेनेरिक दवा उत्पादक देश है, और अमेरिका इसका सबसे बड़ा बाजार है। यदि टैरिफ बढ़ता है, तो भारतीय दवा कंपनियों की लागत बढ़ जाएगी और उनकी प्रतिस्पर्धा घट जाएगी।
- आईटी सेक्टर (IT Industry): भारत के आईटी सेक्टर की अमेरिका में काफी मजबूत पकड़ है। टैरिफ के चलते भारतीय आईटी कंपनियों के प्रोजेक्ट्स महंगे हो सकते हैं, जिससे उनकी मांग घट सकती है।
- टेक्सटाइल इंडस्ट्री (Textile Industry): भारत का टेक्सटाइल उद्योग अमेरिका को बड़े पैमाने पर निर्यात करता है। टैरिफ की वजह से भारतीय टेक्सटाइल उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे उनके निर्यात में कमी आ सकती है।
क्या भारत करेगा पलटवार? भारत सरकार की रणनीति पर सबकी नजरें!
भारत सरकार 100% Tariff on India की घोषणा के बाद इस फैसले का आकलन कर रही है और जल्द ही जवाबी कदम उठा सकती है।

- 2019 में, जब ट्रंप प्रशासन ने भारत के व्यापारिक लाभों को कम किया था, तब भारत ने भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाए थे।
- भारत अन्य देशों के साथ व्यापारिक समझौतों को मजबूत कर सकता है, ताकि अमेरिकी बाजार पर उसकी निर्भरता कम हो सके।
- भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजार की जगह यूरोप और अन्य एशियाई देशों में अपने निर्यात को बढ़ाने का प्रयास कर सकती हैं।
क्या भारत-अमेरिका के रिश्ते प्रभावित होंगे? बड़ा सवाल!

100% Tariff on India लागू होने से भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में तनाव आ सकता है। वर्तमान में, दोनों देश मजबूत आर्थिक साझेदार हैं, लेकिन यह नया टैरिफ नीति द्विपक्षीय संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
क्या भारत इस चुनौती से निपट सकता है?
भारत सरकार और व्यापारिक जगत इस चुनौती का सामना करने के लिए रणनीति बना रहे हैं। भारतीय कंपनियां नए बाजारों की तलाश, उत्पादन लागत में कमी, और व्यापार समझौतों पर ध्यान देकर इस प्रभाव को कम करने की कोशिश कर सकती हैं।
निष्कर्ष: 100% Tariff on India से भारत के लिए क्या होगा अगला कदम?
Donald Trump की 100% Tariff on India नीति भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। यह नीति जहां अमेरिकी उत्पादों को फायदा पहुंचाएगी, वहीं भारतीय कंपनियों के लिए चुनौती बन सकती है। अब सभी की निगाहें भारत सरकार की रणनीतिक प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।
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महिला सम्मान निधि योजना: हर महिला को मिलेगा ₹2,500, जानें कैसे करें आवेदन!

महिलाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी! सरकार ने महिला सम्मान निधि योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत हर पात्र महिला को ₹2,500 की आर्थिक सहायता मिलेगी। यह योजना महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर आप भी इस योजना का लाभ उठाना चाहती हैं, तो इस लेख में आपको पूरी जानकारी मिलेगी—क्या है यह योजना, कौन इसका लाभ उठा सकता है, और आवेदन कैसे करें? आइए, विस्तार से जानते हैं।
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महिला सम्मान निधि योजना क्या है?
सरकार द्वारा शुरू की गई महिला सम्मान निधि योजना का उद्देश्य उन महिलाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान करना है, जो किसी भी कारण से वित्तीय रूप से कमजोर हैं। इस योजना के तहत सरकार हर महीने ₹2,500 की सहायता राशि सीधे महिलाओं के बैंक खाते में ट्रांसफर करेगी।

यह योजना उन महिलाओं के लिए खासतौर पर फायदेमंद है, जो घरेलू जिम्मेदारियों के कारण नौकरी या व्यवसाय नहीं कर पा रही हैं। सरकार का मानना है कि महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने से पूरे परिवार और समाज को भी लाभ मिलेगा।.
कौन कर सकता है आवेदन?
अगर आप इस योजना का लाभ उठाना चाहती हैं, तो इन शर्तों को पूरा करना जरूरी है: ✔ भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है।
✔ आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
✔ परिवार की वार्षिक आय ₹2 लाख से कम होनी चाहिए।
✔ आधार कार्ड और बैंक खाता अनिवार्य है।
✔ अगर पहले से किसी सरकारी आर्थिक सहायता योजना का लाभ मिल रहा है, तो आप अप्लाई नहीं कर सकतीं।
अगर आप इन सभी शर्तों को पूरा करती हैं, तो बिना देरी किए आवेदन प्रक्रिया शुरू कर सकती हैं।
कैसे करें आवेदन? (Step-by-Step गाइड)
महिला सम्मान निधि योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन रखा गया है, ताकि महिलाएं आसानी से अप्लाई कर सकें।
👉 स्टेप 1: सबसे पहले सरकार की आधिकारिक वेबसाइट www.delhi.gov.in पर जाएं।
👉 स्टेप 2: “महिला सम्मान निधि योजना” पर क्लिक करें और रजिस्ट्रेशन पेज खोलें।
👉 स्टेप 3: मांगी गई सभी जरूरी जानकारी भरें, जैसे—नाम, पता, आधार नंबर और बैंक डिटेल्स।
👉 स्टेप 4: जरूरी दस्तावेज अपलोड करें, जिनमें शामिल हैं:
- आधार कार्ड
- बैंक खाता विवरण
- एड्रेस प्रूफ (राशन कार्ड/ वोटर ID)
- पासपोर्ट साइज फोटो
👉 स्टेप 5: आवेदन सबमिट करें और फॉर्म का स्टेटस चेक करते रहें।
अगर सभी दस्तावेज सही पाए गए, तो सरकार जल्द ही आपके बैंक खाते में ₹2,500 की पहली किस्त ट्रांसफर कर देगी।
इस योजना के मुख्य लाभ
💰 ₹2,500 प्रति माह की सीधी सहायता – घरेलू महिलाओं को आर्थिक मजबूती मिलेगी।
🏦 सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर – पैसा सीधे खाते में आएगा, किसी बिचौलिये की जरूरत नहीं।
📄 सरल आवेदन प्रक्रिया – 100% ऑनलाइन आवेदन, किसी सरकारी दफ्तर के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं।
👩👧 महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा – महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी और अपने परिवार की मदद कर सकेंगी।
क्या यह योजना पूरे भारत में लागू होगी?

फिलहाल यह योजना दिल्ली सरकार द्वारा लागू की गई है। लेकिन अगर यह सफल होती है, तो भविष्य में इसे अन्य राज्यों में भी शुरू किया जा सकता है। अगर आप चाहती हैं कि यह योजना आपके राज्य में भी आए, तो सोशल मीडिया पर #MahilaSammanNidhi ट्रेंड करवा सकती हैं।
क्या कह रही हैं महिलाएं? (रियल लाइफ एक्सपीरियंस)
👩 सीमा वर्मा (दिल्ली): “जब मेरे खाते में पहली बार ₹2,500 आए, तो मुझे विश्वास नहीं हुआ! अब मैं अपने छोटे-छोटे खर्च खुद मैनेज कर सकती हूं।”
👩 रुचि गुप्ता (नई दिल्ली): “महिलाओं के लिए ऐसी योजना आना बहुत जरूरी था। सरकार को इसे पूरे भारत में लागू करना चाहिए।”
📢 सोशल मीडिया पर ट्रेंड: #WomenEmpowerment #₹2500forWomen #MahilaSammanNidhi
मौका हाथ से न जाने दें!
महिला सम्मान निधि योजना सरकार का एक शानदार कदम है, जो महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा। अगर आप पात्र हैं, तो आज ही आवेदन करें और ₹2,500 की सरकारी सहायता प्राप्त करें!
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PMs Death : “मैनू विदा करो मेरे यारा”, देश के मन को मौन कर गए मनमोहन

PMs Death
26 दिसंबर 2024 को भारत ने एक ऐसा सपूत खो दिया, जिसने न केवल देश के आर्थिक भविष्य को नई दिशा दी, बल्कि अपनी सादगी और ईमानदारी से करोड़ों दिलों को भी छुआ। पूर्व प्रधानमंत्री PMs Death PM Dr. Manmohan Singh के निधन की खबर ने पूरे देश को दुखी कर दिया।

PM Dr. Manmohan Singh ने 91 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वे कई महीनों से अस्वस्थ थे और दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। डॉक्टर उनकी सेहत पर लगातार नजर बनाए हुए थे, लेकिन आखिरकार भारत के इस महान नेता ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
शांत व्यक्तित्व, महान उपलब्धियां
डॉ. मनमोहन सिंह का नाम भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम है, जिन्हें उनकी विद्वता, ईमानदारी और समर्पण के लिए याद किया जाएगा। वे 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। उनकी नेतृत्व क्षमता, सटीक आर्थिक नीतियों और दूरदर्शी सोच ने भारत को एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया।

1991 में वित्त मंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयों पर पहुंची। उनके प्रयासों से देश में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का दौर शुरू हुआ। आज भारत जिस आर्थिक प्रगति का आनंद ले रहा है, उसका श्रेय काफी हद तक डॉ. सिंह को जाता है।
PMs Death दिल को छू लेने वाला व्यक्तित्व
PM Dr. Manmohan Singh का व्यक्तित्व इतना शांत और विनम्र था कि वे न केवल अपने समर्थकों बल्कि आलोचकों के दिलों में भी जगह बनाने में सफल रहे। बेदाग छवि के साथ उन्होंने साबित कर दिया कि सादगी और ईमानदारी भी राजनीति में बदलाव ला सकती है। उनके राजनीतिक जीवन से कभी कोई विवाद जुड़ा नहीं रहा।
उनकी आवाज नरम थी, लेकिन उनके विचार और फैसले बेहद प्रभावशाली थे। देश और दुनिया ने उन्हें एक कुशल अर्थशास्त्री के रूप में पहचाना। वे न केवल एक नेता थे, बल्कि एक शिक्षक, एक प्रेरणा और एक सच्चे देशभक्त थे।

देश भर में शोक की लहर
Dr. Manmohan Singh के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। राजनीतिक दलों के नेताओं, अभिनेताओं, उद्योगपतियों और आम जनता सभी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। वे भारतीय राजनीति के प्रतीक थे, जिनकी कमी हमेशा खलेगी।”
- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने शोक संदेश में कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह का निधन कांग्रेस पार्टी और देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उनका योगदान अमूल्य है।”
- राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “डॉ. मनमोहन सिंह एक सच्चे नेता और विद्वान थे। उनकी दूरदर्शिता और उनकी मानवता हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।” अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गहरी छाप डॉ. मनमोहन सिंह की लोकप्रियता और सम्मान केवल भारत तक ही सीमित नहीं था।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उनकी बात सुनी और उनका सम्मान किया जाता था। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक बार उन्हें “असाधारण बुद्धि का व्यक्ति” कहा था।
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों के नेताओं ने उनके निधन की खबर पर शोक व्यक्त किया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने अपने संदेश में कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को एक नई दिशा दी। उनकी विद्वता और उनकी सेवा को हमेशा याद रखा जाएगा।” डॉ. सिंह का निजी जीवन
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब के गाह गांव में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की।
एक आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में, उन्होंने विश्व बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक में भी काम किया। 1958 में, उन्होंने गुरशरण कौर से शादी की, और उनकी दो बेटियाँ, उपिंदर और दमन, अभी भी उनकी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं।
अंतिम संस्कार और राष्ट्रीय शोक
डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार 27 दिसंबर 2024 को दिल्ली के लोधी रोड श्मशान घाट पर होगा। केंद्र सरकार ने उनके सम्मान में सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।

देश भर में लोग उनके योगदान को याद कर रहे हैं। कई जगहों पर कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं और प्रार्थना सभाएँ आयोजित की जा रही हैं।
यादें जो हमेशा रहेंगी
डॉ. मनमोहन सिंह ने देश को जो दिया, वह अमूल्य है। उनके द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधार, उनकी सादगी और उनकी नीतियां आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेंगी। आज भले ही वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, उनके सिद्धांत और उनकी शिक्षाएं हमेशा हमारे साथ रहेंगी।
26 दिसंबर 2024 को भारत ने न केवल एक नेता बल्कि एक आदर्श और मार्गदर्शक खो दिया। डॉ. मनमोहन सिंह का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन और उनका काम यह सिखाता है कि कैसे सच्चाई, ईमानदारी और कड़ी मेहनत से दुनिया को बदला जा सकता है।
डॉ. मनमोहन सिंह को हमारी श्रद्धांजलि। आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे।
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TULSI GABBARD USA में जासूसी की कमान संभालेंगी HINDU सांसद

TULSI GABBARD USA
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश की खुफिया एजेंसी की सर्वोच्च जिम्मेदारी के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला लिया है। ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को ‘डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस’ (DNI) के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की है।
तुलसी गबार्ड न केवल चार बार सांसद रह चुकी हैं, बल्कि वह अमेरिका की पहली हिंदू महिला सांसद भी हैं। उन्होंने हमेशा से ही हिंदू अल्पसंख्यकों और अन्य समुदायों के अधिकारों की पुरजोर वकालत की है।

गबार्ड हाल ही में डेमोक्रेटिक पार्टी को अलविदा कहकर रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुई थीं। इसके बाद से ही उनका राजनीतिक कद तेजी से बढ़ा है। ट्रंप ने इस फैसले को अपने प्रशासन की एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा, “तुलसी ने न केवल अमेरिकी सेना में अपने साहस का परिचय दिया है, बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी है।”
TULSI GABBARD USA तुलसी गबार्ड कौन हैं?
तुलसी गबार्ड अमेरिका में जन्मीं पहली हिंदू महिला हैं, जिन्होंने अमेरिकी राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया है। उनकी मां ने उन्हें हिंदू संस्कृति के अनुरूप पाला और वह एक आजीवन शाकाहारी हैं। खास बात यह है कि तुलसी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के दौरान भगवद गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी।
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तुलसी गबार्ड का राजनीतिक और सैन्य अनुभव व्यापक है। पश्चिम एशिया और अफ्रीका के संघर्ष क्षेत्रों में उनकी तैनाती के अनुभव ने उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गहरी समझ दी है। उन्होंने 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की दावेदारी भी पेश की थी। हालांकि, बाद में उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थाम लिया।
हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ बुलंद की आवाज
तुलसी गबार्ड ने कई मौकों पर पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। साल 2021 में उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया।

गबार्ड ने अपने प्रस्ताव में 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचारों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “50 साल पहले पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश में हजारों बंगाली हिंदुओं का कत्ल किया, उन्हें प्रताड़ित किया और उनके घरों से बेदखल कर दिया।”
उन्होंने यह भी जोर दिया कि पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल आज भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए हो रहा है, जो न केवल दक्षिण एशिया बल्कि पूरे विश्व की शांति के लिए खतरा है।
ट्रंप का बड़ा दांव
डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को DNI नियुक्त करते हुए कहा, “तुलसी के पास अमेरिका और दुनिया के सबसे जटिल सुरक्षा मुद्दों को संभालने की क्षमता है। उनकी नियुक्ति से अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को एक नई दिशा मिलेगी।”

DNI के रूप में तुलसी गबार्ड का कार्यकाल अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद अहम होने वाला है। खुफिया एजेंसी का नेतृत्व करते हुए गबार्ड का मुख्य फोकस देश की सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबला और वैश्विक खुफिया सहयोग को मजबूत करना होगा।
राजनीतिक कद और वैश्विक प्रभाव
तुलसी गबार्ड की यह नियुक्ति न केवल अमेरिकी राजनीति में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई है। हिंदू मूल्यों और धार्मिक सहिष्णुता की समर्थक गबार्ड ने हमेशा से अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा को प्राथमिकता दी है। उनकी यह नई भूमिका उन्हें एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर सकती है।
तुलसी गबार्ड की नियुक्ति ने अमेरिका में हिंदू समुदाय और अल्पसंख्यकों के लिए एक नया इतिहास रच दिया है। उनके नेतृत्व में अमेरिका की खुफिया एजेंसियां कैसे काम करेंगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन एक बात निश्चित है कि तुलसी का यह सफर न केवल उनके लिए बल्कि विश्व राजनीति के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।
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