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B-2 Spirit का तांडव: अमेरिका की बमबारी से यमन में मची तबाही!
B-2 Spirit
7 मोर्चों पर अकेले जंग लड़ रहा इस्राइल के लिए जीवनधारा बन कर अमेरिका सामने आया है इस्राइल के दक्षिण सागर मे हूति आतंकियों ने इस्राइल के जहाजों को अपना निशाना बनाया और अब अमेरिका ने हूति आतंकियों को अपने बमों का मज़ा चखा दिया है,
अमेरिका ने यमन में अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया है। अमेरिका ने यमन के हूती विद्रोहियों के एक हथियार भंडारण फैसिलिटी को तबाह कर दिया है। यह एक अंडरग्राउंड फैसिलिटी थी।
अमेरिका ने पहली बार अपने बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बमवर्षकों को इस काम के लिए इस्तेमाल किया है। वर्षों में पहली बार इस बॉम्बर का इस्तेमाल अमेरिका ने किया है। भले ही यह हमला यमन में हुआ हो, लेकिन अमेरिका ने इसके जरिए ईरान को सीधा संदेश भेजा है।
पेंटागन ने पुष्टि की है कि अमेरिकी सेना ने पांच भारी किलेबंद, अंडर ग्राउंड हूती हथियार भंडारण फैसिलिटी को निशाना बनाया। इन फैसिलिटी में वही हथियार थे, जिनका इस्तेमाल लाल सागर और अदन की खाड़ी जैसे रणनीतिक जलमार्गों में नागरिक और सैन्य दोनों तरह के जहाजों पर हमले के लिए किया गया है।
पेंटागन के अधिकारियों ने कहा कि यह ऑपरेशन क्षेत्र को अस्थिर करने में लगे हूतियों की क्षमता को कम करेगा। गाजा युद्ध के बाद से ही हूतियों ने लाल सागर के व्यापारिक मार्ग को खतरनाक बना दिया है।
हूति विद्रोही, जिन्हें आधिकारिक तौर पर “अंसार अल्लाह” के नाम से जाना जाता है, यमन में एक शिया मुस्लिम विद्रोही समूह है जो लंबे समय से सरकार और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के खिलाफ संघर्षरत है।
हूति विद्रोहियों की जड़ें यमन के उत्तर-पश्चिमी इलाके सादा प्रांत में पाई जाती हैं, और इनका उदय 1990 के दशक में हुआ था। यह समूह यमन के ज़ैदी शिया मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है, जो देश के एक बड़े हिस्से में अल्पसंख्यक हैं। यमन में चल रही आंतरिक अस्थिरता और सऊदी अरब के हस्तक्षेप ने हूति विद्रोहियों को वैश्विक आतंकवाद के मानचित्र पर ला खड़ा किया है।
हूति आंदोलन की शुरुआत यमन के सादा प्रांत से हुई, जहां से ज़ैदी शिया समुदाय का बहुमत है। 1990 के दशक में इस आंदोलन को स्थापित किया गया, जिसका नेतृत्व बदरुद्दीन अल-हूति के बेटे हुसैन बदरुद्दीन अल-हूति ने किया। प्रारंभ में, यह आंदोलन धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर आधारित था और इसका मुख्य उद्देश्य ज़ैदी समुदाय के हितों की रक्षा करना था। यमन में वर्षों से चल रही राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार, और शिया समुदाय के साथ भेदभाव के खिलाफ यह आंदोलन धीरे-धीरे सशस्त्र विद्रोह में तब्दील हो गया।
हूति विद्रोही खुद को यमन में शिया समुदाय के रक्षक के रूप में प्रस्तुत करते हैं, लेकिन उनकी विचारधारा समय के साथ बदलती गई। शुरू में ज़ैदी शिया मत के धार्मिक हितों की सुरक्षा करने के लिए संघर्षरत हूति अब यमन की सत्ता पर कब्जा करने के लिए लड़ रहे हैं।
2011 के अरब स्प्रिंग के बाद, यमन में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ गई, जिससे हूति विद्रोहियों को अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका मिला। 2014 में, इन्होंने राजधानी सना पर कब्जा कर लिया, और तत्कालीन राष्ट्रपति अब्द-रब्बू मंसूर हादी को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
सऊदी अरब ने हूति विद्रोह को एक बड़े क्षेत्रीय खतरे के रूप में देखा, क्योंकि उन्हें ईरान का समर्थन प्राप्त है। सऊदी अरब ने 2015 में यमन में सैन्य हस्तक्षेप शुरू किया, जिसे हूति विद्रोही और सऊदी गठबंधन के बीच एक लंबे गृहयुद्ध का कारण बना। हूति विद्रोहियों पर आरोप है कि वे ईरान से सैन्य और वित्तीय सहायता प्राप्त करते हैं, जिससे यह संघर्ष एक प्रॉक्सी युद्ध की शक्ल ले चुका है, जिसमें ईरान और सऊदी अरब आमने-सामने हैं।
हूति विद्रोहियों पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप भी लगाए जाते हैं। सऊदी अरब और अमेरिका ने उन्हें आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। हूति विद्रोही यमन में सऊदी गठबंधन के खिलाफ मिसाइल हमलों और ड्रोन हमलों का सहारा लेते हैं।
उनके हमले सिर्फ यमन तक सीमित नहीं रहे, बल्कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात तक पहुंच गए हैं, जिससे यह समूह वैश्विक आतंकवाद के खतरे के रूप में उभरा है। उनके हथियारबंद हमलों और नागरिकों को निशाना बनाने की घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गहरी चिंता पैदा की है।
हूति विद्रोहियों की उत्पत्ति यमन के आंतरिक संघर्ष से हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे यह आंदोलन एक बड़े क्षेत्रीय विवाद का हिस्सा बन गया। सऊदी अरब और ईरान के बीच प्रॉक्सी युद्ध ने यमन को गृहयुद्ध की आग में झोंक दिया है,
जिसमें हूति विद्रोही एक प्रमुख शक्ति बनकर उभरे हैं। हालांकि यह समूह खुद को शिया समुदाय के हितों का रक्षक बताता है, परंतु इसके आतंकवादी हमले और हिंसक गतिविधियों ने इसे एक वैश्विक खतरे के रूप में सामने रखा है।
अमेरिका के अधिकारियों ने बताया कि यह तुरंत स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस हमले से कितना नुकसान हुआ है। यमन के हूती विद्रोहियों को निशाना बनाने के लिए ‘बी-2 स्पिरिट’ का इस्तेमाल करना आम बात नहीं है। ‘बी-2 स्पिरिट’ ऐसा बमवर्षक है जिसमें दुश्मन की नजर में आए बिना हमला करने की क्षमता है। हूतियों के ‘अल-मसीरा’ समाचार चैनल ने बताया कि यमन की राजधानी सना के आसपास हवाई हमले हुए हैं।
साल 2014 से हूती विद्रोहियों ने सना पर कब्जा कर रखा है। इसमें बताया गया कि हूती विद्रोहियों के गढ़ सादा के आसपास भी हवाई हमले हुए हैं, हालांकि इसने नुकसान या हताहतों के बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी है।
ईरान को संदेश
इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव के दौरान इस तरह के हमले से अमेरिका ने ईरान को चुनौती दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि हूतियों को ईरान की ओर से समर्थन मिलता है। बी-2 के इस्तेमाल से अमेरिका ने दिखाया है कि वह गहराई में बने भारी किलेबंदी वाले बंकरों और फैसिलिटी को तबाह कर सकता है। ईरान ने भी अपनी कई सैन्य साइटों खास तौर से इसकी परमाणु फैसिलिटी को जमीन की गहराई में बनाया हुआ है।