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Mpox: का नया स्ट्रेन Clade 1b: India स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया अलर्ट

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हाल ही में भारत में मंकीपॉक्स (Mpox) के Clade 1b स्ट्रेन का पहला मामला सामने आया है। यह मामला केरल के एक 38 वर्षीय व्यक्ति का है, जो हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लौटा था।

इस व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण पाए जाने पर उसके सैंपल को जांच के लिए भेजा गया, जिसके बाद Clade 1b स्ट्रेन की पुष्टि की गई। यह वही स्ट्रेन है, जो अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के मामलों में तेजी से वृद्धि के लिए जिम्मेदार रहा है। इस गंभीर स्थिति के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था।

इसके अलावा, दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश नारायण (LNJP) अस्पताल में हिसार, हरियाणा के 26 वर्षीय एक युवक में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी, जिसके सैंपल में Clade 2 स्ट्रेन पाया गया। दोनों मामलों के सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने तत्काल स्थिति का संज्ञान लिया और सतर्कता बरतने के निर्देश जारी किए।

Clade 1b और Clade 2 स्ट्रेन: क्या है अंतर? मंकीपॉक्स वायरस कई अलग-अलग क्लेड्स (Clades) में बंटा होता है, जिनमें से Clade 1b और Clade 2 प्रमुख हैं। Clade 1b स्ट्रेन खासतौर से अफ्रीकी देशों में पाया गया है,

जहां इसके कारण मंकीपॉक्स के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई। Clade 1b की मृत्यु दर लगभग 3 प्रतिशत आंकी गई है, जो इसे अधिक घातक बनाता है। वहीं, Clade 2 स्ट्रेन का मामला पहले सामने आ चुका है, जिसका मृत्यु दर 0.1 प्रतिशत था। Clade 2 स्ट्रेन की तुलना में Clade 1b स्ट्रेन अधिक गंभीर और खतरनाक माना जा रहा है।

अभी तक भारत में मंकीपॉक्स के केवल दो मामलों की पुष्टि हुई है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय इस स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है। केरल के संक्रमित युवक की हालत स्थिर है, जबकि दिल्ली में भर्ती हिसार का मरीज भी अब ठीक हो चुका है।

अफ्रीका में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामले

मंकीपॉक्स का Clade 1b स्ट्रेन विशेष रूप से अफ्रीका के कई देशों में फैला हुआ है। वहां इसके तेजी से फैलने के कारण इस वायरस ने बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित किया है। 2022 में Clade 2 स्ट्रेन के चलते WHO ने मंकीपॉक्स को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। Clade 2 की मृत्यु दर 0.1 प्रतिशत आंकी गई थी, जबकि Clade 1b के लिए यह दर 3 प्रतिशत तक हो सकती है, जो इसे कहीं अधिक घातक बनाता है।

मंकीपॉक्स के लक्षण और सावधानियां

मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है, जो चिकनपॉक्स और स्मॉलपॉक्स की तरह ही ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन द्वारा फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक निकट संपर्क, यौन संपर्क, घाव के तरल पदार्थ के सीधे संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़े, चादर या अन्य वस्तुओं का इस्तेमाल करने से यह बीमारी फैल सकती है। हालांकि, यह वायरस कोविड-19 की तरह हवा के माध्यम से नहीं फैलता है, इसलिए इसके फैलने की दर कोविड-19 की तुलना में कम होती है।

मंकीपॉक्स के प्रमुख लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, थकान, लिम्फ नोड्स में सूजन, और शरीर पर चकत्ते या दाने शामिल होते हैं। शरीर पर यह दाने सबसे पहले चेहरे पर उभरते हैं और फिर शरीर के अन्य हिस्सों में फैलते हैं। यह दाने या चकत्ते धीरे-धीरे पस भरने वाले फोड़े में बदल सकते हैं, जो बहुत दर्दनाक हो सकते हैं।

बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा परामर्श लेना और स्वयं को अलग रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि अन्य लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके।

स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश

स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए अलर्ट जारी किया है। मंत्रालय के अनुसार, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए। साथ ही, संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क या शरीर के घाव से तरल पदार्थ के सीधे संपर्क से बचने की सलाह दी गई है।

मंत्रालय ने विशेष रूप से बताया है कि मंकीपॉक्स का संक्रमण कोविड-19 की तरह हवा से नहीं फैलता, लेकिन सावधानी बरतना आवश्यक है, क्योंकि यह वायरस व्यक्ति से व्यक्ति के संपर्क से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, चादर, या अन्य वस्त्र भी संक्रमण का कारण बन सकते हैं, इसलिए इन्हें सही तरीके से अलग करना और साफ करना आवश्यक है।

भारत में मंकीपॉक्स के मामले

भारत में मई 2022 तक मंकीपॉक्स के कुल 30 मामले सामने आए थे, जिनमें से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई थी। हालांकि, वर्तमान में दो नए मामलों की पुष्टि हुई है—केरल और दिल्ली में। केरल का मामला Clade 1b स्ट्रेन का है, जबकि दिल्ली का मामला Clade 2 स्ट्रेन का है। केरल का मरीज वर्तमान में स्थिर है और अस्पताल में उचित इलाज किया जा रहा है।

देशभर में स्वास्थ्य संस्थान सतर्क हैं और राज्य सरकारें भी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

भविष्य की चुनौतियाँ मंकीपॉक्स का नया Clade 1b स्ट्रेन भारत में सामने आने के बाद अब इस वायरस के नियंत्रण और संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को और अधिक सतर्कता बरतनी होगी। हालांकि, अभी तक भारत में मंकीपॉक्स के मामलों की संख्या बहुत अधिक नहीं है, फिर भी यह वायरस तेजी से फैल सकता है, खासतौर से तब, जब संक्रमित व्यक्ति

साथ ही, संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क या शरीर के घाव से तरल पदार्थ के सीधे संपर्क से बचने की सलाह दी गई है।

मंत्रालय ने विशेष रूप से बताया है कि मंकीपॉक्स का संक्रमण कोविड-19 की तरह हवा से नहीं फैलता, लेकिन सावधानी बरतना आवश्यक है, क्योंकि यह वायरस व्यक्ति से व्यक्ति के संपर्क से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, चादर, या अन्य वस्त्र भी संक्रमण का कारण बन सकते हैं, इसलिए इन्हें सही तरीके से अलग करना और साफ करना आवश्यक है।

भारत में मंकीपॉक्स के मामले

भारत में मई 2022 तक मंकीपॉक्स के कुल 30 मामले सामने आए थे, जिनमें से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई थी। हालांकि, वर्तमान में दो नए मामलों की पुष्टि हुई है—केरल और दिल्ली में। केरल का मामला Clade 1b स्ट्रेन का है, जबकि दिल्ली का मामला Clade 2 स्ट्रेन का है। केरल का मरीज वर्तमान में स्थिर है और अस्पताल में उचित इलाज किया जा रहा है।

देशभर में स्वास्थ्य संस्थान सतर्क हैं और राज्य सरकारें भी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

भविष्य की चुनौतियाँ

मंकीपॉक्स का नया Clade 1b स्ट्रेन भारत में सामने आने के बाद अब इस वायरस के नियंत्रण और संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को और अधिक सतर्कता बरतनी होगी। हालांकि, अभी तक भारत में मंकीपॉक्स के मामलों की संख्या बहुत अधिक नहीं है, फिर भी यह वायरस तेजी से फैल सकता है, खासतौर से तब, जब संक्रमित व्यक्ति का अन्य लोगों से घनिष्ठ संपर्क हो।

इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लोगों को सतर्क रहना होगा, उचित साफ-सफाई का पालन करना होगा और संक्रमित व्यक्ति से संपर्क से बचना होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अंततः, मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए वैक्सीन और अन्य उपायों पर तेजी से काम करने की जरूरत है। स्वास्थ्य मंत्रालय और अन्य संबंधित एजेंसियाँ इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए हर संभव कदम उठा रही हैं।

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स्वास्थ्य

कहीं आप गलत तरीके से तो नहीं कर रहे उपवास! ज़रूर  पढ़े ये खबर Fasting the wrong way!

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Fasting the wrong way!

व्रत एक प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जो भारतीय समाज में लंबे समय से निभाई जा रही है। यह न केवल आत्मा को शुद्ध करने का एक तरीका है, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है।

व्रत करना व्यक्ति के अनुशासन, संयम और आत्म-नियंत्रण की भावना को सशक्त बनाता है। इस लेख में हम यह समझेंगे कि व्रत करना क्यों ज़रूरी है, इसके फायदे क्या हैं और एक हफ्ते में कितने व्रत करना सेहत के लिए ठीक रहता है।

व्रत करने की आवश्यकता और महत्व

व्रत करना एक मानसिक और शारीरिक साधना है, जिसमें व्यक्ति किसी विशेष दिन या अवधि के दौरान उपवास या विशेष आहार पर संयम रखता है। हिंदू धर्म में व्रत करने के कई धार्मिक, सामाजिक और मानसिक लाभ माने जाते हैं।

व्रत का उद्देश्य न केवल आत्मा को शुद्ध करना होता है, बल्कि यह भी कि व्यक्ति अपनी इच्छाओं और भोगों पर नियंत्रण रखे, जिससे उसकी मानसिक शांति और संतुलन बना रहता है। इसके अलावा, व्रत करने से व्यक्ति की आस्था और भक्ति भी प्रगाढ़ होती है।

व्रत करने के कई प्रकार होते हैं, जैसे पूर्ण उपवास, फलाहार, और कुछ सीमित आहार पर रहना। कई व्रत तो विशेष त्योहारों और शुभ अवसरों पर भी होते हैं, जैसे हरियाली तीज, करवा चौथ, शिवरात्रि, और एकादशी। इन व्रतों को धार्मिक कर्तव्यों के रूप में माना जाता है, जो समाज में सकारात्मक ऊर्जा और विश्वास को बढ़ावा देते हैं।

व्रत करने के फायदे

शारीरिक लाभ: व्रत करने से शरीर को विश्राम मिलता है। जब हम उपवास रखते हैं या सीमित आहार लेते हैं, तो शरीर की ऊर्जा सिर्फ पाचन में खर्च नहीं होती, बल्कि यह शरीर के अन्य कार्यों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इससे पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर में जमा विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, शरीर की सेहत में सुधार होता है।

मानसिक शांति: व्रत के दौरान व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित करता है, जिससे मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। व्रत करने से व्यक्ति के भीतर आत्म-नियंत्रण की भावना उत्पन्न होती है, जो उसे अपने जीवन के अन्य पहलुओं में भी सकारात्मक तरीके से मार्गदर्शन करती है। इससे मानसिक तनाव कम होता है और व्यक्ति ज्यादा शांत और सुलझा हुआ महसूस करता है।

आध्यात्मिक विकास: व्रत करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा में वृद्धि होती है। जब व्यक्ति उपवास रखता है या किसी विशेष दिन में ध्यान और पूजा में लीन होता है, तो वह भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को प्रगाढ़ करता है। यह व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और उसे जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करता है।

शरीर में ऊर्जा का संचार: उपवास के दौरान शरीर में जमा अतिरिक्त वसा और अन्य अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकलते हैं, जिससे शरीर में ताजगी और ऊर्जा का संचार होता है। यह शरीर को साफ और हल्का महसूस कराता है। कई लोग मानते हैं कि व्रत के दौरान उनके शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है, जो उन्हें पूरे दिन की चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनाती है।

सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव: व्रत का पालन व्यक्ति को समाज में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करता है। यह परिवार और समाज के साथ रिश्तों को भी मजबूत करता है, क्योंकि जब पूरा परिवार एक साथ व्रत करता है, तो यह एक साझा अनुभव बनता है जो रिश्तों को और भी प्रगाढ़ करता है।

एक हफ्ते में कितने व्रत करना सेहत के लिए ठीक है?

अब सवाल उठता है कि एक हफ्ते में कितने व्रत करना सेहत के लिए ठीक है। यह प्रश्न हर व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य, जीवनशैली और व्रत के प्रकार पर निर्भर करता है। आमतौर पर, एक हफ्ते में 1-2 व्रत रखना सेहत के लिए उपयुक्त माना जाता है। अधिक व्रत रखने से शरीर में कमजोरी और थकावट हो सकती है, खासकर यदि व्यक्ति पर्याप्त पानी या पोषक तत्वों का सेवन नहीं करता है।

यदि किसी व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा है और वह उपवास या व्रत को सही तरीके से करता है, तो वह एक हफ्ते में 2-3 व्रत रख सकता है, लेकिन इसे संतुलित और सही तरीके से करना चाहिए। इसके अलावा, यह महत्वपूर्ण है कि व्रत के दौरान शरीर को सही पोषण मिले। फल, सब्जियां, दही, और पानी का उचित सेवन करना चाहिए, ताकि शरीर को आवश्यक ऊर्जा मिल सके।

व्रत रखने से पहले अपने शरीर की स्थिति और स्वास्थ्य का आकलन करना जरूरी है, खासकर उन लोगों के लिए जो किसी विशेष बीमारी से पीड़ित हैं या जिन्हें कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है। इन लोगों को व्रत करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

इस मूलांक वालों को है नसीब और टैलेंट का जबरदस्त साथ!

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Chemical से भरी ये हेल्दी सब्जियां, जान न ले ले आपकी ऐसे करे बचाव

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Chemical

आज के समय में Chemical वाली सब्जियों का सेवन आम बात हो गई है। इन सब्जियों में मौजूद केमिकल जैसे पेस्टिसाइड, केमिकल खाद और प्रिजर्वेटिव हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं। ये न सिर्फ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करते हैं, बल्कि लंबे समय तक इनका सेवन कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है।

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1. नींबू पानी पिएं

नींबू में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में मददगार होते हैं। सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से आपका मेटाबॉलिज्म तेज होता है और लिवर की कार्यप्रणाली बेहतर होती है। नींबू पानी न केवल शरीर को डिटॉक्स करता है, बल्कि यह आपकी त्वचा को चमकदार बनाता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।

2. फाइबर युक्त आहार का सेवन बढ़ाएँ

फाइबर युक्त भोजन शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में बेहद उपयोगी है। यह हमारी आंतों को साफ करता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाता है।

ओट्स, फल (जैसे सेब, नाशपाती और जामुन) , सब्जियाँ (गाजर, पालक और ब्रोकली) , साबुत अनाज (जैसे जौ और ब्राउन राइस) फाइबर शरीर से रसायनों को अवशोषित करता है और उन्हें मल के माध्यम से बाहर निकालता है। इसके लिए हर भोजन में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें।

3. डिटॉक्स ड्रिंक्स का सेवन करें

डिटॉक्स ड्रिंक्स शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का एक प्रभावी तरीका है। ये ड्रिंक्स आपकी किडनी और लीवर को साफ करने में मदद करते हैं।.

घर पर बने डिटॉक्स ड्रिंक्स

खीरे और पुदीने का पानी: खीरे के स्लाइस और पुदीने के पत्तों को रात भर एक गिलास पानी में भिगोएँ। सुबह इसे पिएँ।

अदरक और हल्दी की चाय: अदरक और हल्दी को पानी में उबालकर पिएं, इससे शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।

एलोवेरा जूस: यह शरीर को ठंडा रखता है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।

डिटॉक्स ड्रिंक आपके शरीर को तरोताजा और हाइड्रेट करते हैं, जिससे आप ऊर्जावान महसूस करते हैं।

योग और व्यायाम करें

योग और व्यायाम शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में बहुत फायदेमंद होते हैं। पसीने के माध्यम से शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।

भुजंगासन (सांप मुद्रा)

कपालभाति प्राणायाम

उष्ट्रासन (ऊंट मुद्रा)

व्यायाम से शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है और विषाक्त पदार्थ तेजी से बाहर निकलते हैं। दिन में कम से कम 30 मिनट व्यायाम या योग करें।

खूब पानी पिएं

पानी सबसे सरल और सबसे प्राकृतिक डिटॉक्सीफाइंग एजेंट है। यह मूत्र और पसीने के माध्यम से आपके शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालता है।

रोजाना 8-10 गिलास पानी पिएं। गुनगुने पानी का सेवन अधिक करें, खासकर सुबह के समय। नारियल पानी और हर्बल चाय का सेवन भी फायदेमंद है। पानी न केवल शरीर को डिटॉक्स करता है बल्कि त्वचा को भी चमकदार बनाता है और ऊर्जा के स्तर को बनाए रखता है।

केमिकल युक्त सब्जियों के सेवन के हानिकारक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखने के लिए डिटॉक्स बहुत जरूरी है। ऊपर बताए गए घरेलू उपाय न केवल प्राकृतिक हैं बल्कि अपनाने में भी बहुत आसान हैं। अगर आप नियमित रूप से इन उपायों का पालन करेंगे तो आप न केवल शरीर को डिटॉक्स कर पाएंगे बल्कि लंबे समय तक स्वस्थ भी रहेंगे।

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स्वास्थ्य

सुबह की पहली चाय जो कैंसर भगाये Black pepper & Turmeric Tea

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Black pepper & Turmeric Tea

आज के समय में लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति पहले से कहीं अधिक जागरूक हो गए हैं। सही खान-पान और प्राकृतिक उपचारों की ओर झुकाव बढ़ता जा रहा है। इस संदर्भ में हल्दी और काली मिर्च से बनी चाय (Turmeric and Black Pepper Tea) ने एक सुपरफूड के रूप में अपनी जगह बनाई है।

यह चाय न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी कई हैं। हल्दी और काली मिर्च सदियों से आयुर्वेद में औषधीय गुणों के लिए जानी जाती रही हैं। आइए जानते हैं इस चाय के सेवन से होने वाले प्रमुख लाभ।

1. सूजन और दर्द में राहत (Anti-Inflammatory Benefits)

हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन (Curcumin) एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड है। यह शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है। अक्सर जोड़ों के दर्द या अर्थराइटिस जैसी समस्याओं में हल्दी का सेवन बेहद फायदेमंद माना जाता है।

काली मिर्च में पाया जाने वाला पिपरिन (Piperine) हल्दी के करक्यूमिन को शरीर द्वारा अधिक आसानी से अवशोषित करने में मदद करता है। यह दोनों तत्व मिलकर सूजन को कम करने में दोगुना असर दिखाते हैं।

2. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना Black pepper & Turmeric Tea (Boosts Immunity)

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना बेहद जरूरी है। हल्दी और काली मिर्च चाय एक प्राकृतिक इम्यून बूस्टर की तरह काम करती है। हल्दी के एंटीऑक्सीडेंट्स और काली मिर्च के जीवाणुरोधी गुण शरीर को वायरस और बैक्टीरिया से बचाते हैं।

इसके नियमित सेवन से सर्दी, खांसी और मौसमी बीमारियों का खतरा कम होता है। खासतौर पर ठंड के मौसम में यह चाय शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ इम्यूनिटी बढ़ाने में भी कारगर होती है।

3. पाचन तंत्र को बेहतर बनाना (Improves Digestion)

हल्दी और काली मिर्च चाय पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करती है। काली मिर्च में मौजूद पिपरिन पाचन एंजाइम्स के स्राव को बढ़ाता है, जिससे खाना जल्दी पचता है और पेट की समस्याएं जैसे गैस, एसिडिटी और अपच से राहत मिलती है।

वहीं, हल्दी पेट की अंदरूनी परत को स्वस्थ रखती है और पेट के अल्सर या इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) जैसी समस्याओं में भी राहत पहुंचाती है।

4. वजन घटाने में सहायक (Aids in Weight Loss)

अगर आप वजन घटाने की कोशिश कर रहे हैं तो हल्दी और काली मिर्च चाय आपकी मदद कर सकती है। हल्दी मेटाबोलिज्म को तेज करती है, जिससे शरीर में कैलोरी तेजी से बर्न होती है।

वहीं, काली मिर्च वसा कोशिकाओं को बनने से रोकती है और शरीर में जमे हुए फैट को कम करने में मदद करती है। इसके साथ ही यह चाय भूख को नियंत्रित करती है और आपको ज्यादा खाने से बचाती है।

5. त्वचा को निखारना (Glowing Skin)

हल्दी का उपयोग सदियों से त्वचा की समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता रहा है। यह चाय शरीर के अंदर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है, जिससे त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है।

हल्दी के एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं, जबकि काली मिर्च त्वचा के लिए आवश्यक पोषण को बढ़ावा देती है। नियमित रूप से इस चाय का सेवन करने से मुंहासे और झुर्रियों जैसी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।.

6. कैंसर के खतरे को कम करना (Cancer Prevention) –

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन के एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मदद करते हैं। यह खासतौर पर स्तन कैंसर, कोलन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को कम कर सकता है।

काली मिर्च इसमें एक “बूस्टर” की तरह काम करती है, जिससे हल्दी के पोषक तत्व अधिक प्रभावी हो जाते हैं।

7. मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देना (Enhances Brain Function)

हल्दी और काली मिर्च चाय मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी है। करक्यूमिन ब्रेन फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करता है और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों जैसे अल्जाइमर को रोकने में सहायक है।

काली मिर्च इसमें मौजूद पिपरिन के कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं को सक्रिय करने का काम करती है, जिससे एकाग्रता और याददाश्त में सुधार होता है।

कैसे बनाएं हल्दी और काली मिर्च की चाय?

सामग्री:

  • 1 कप पानी
  • 1/2 चम्मच हल्दी पाउडर
  • 1/4 चम्मच काली मिर्च पाउडर
  • शहद (स्वाद के लिए)
  • नींबू का रस (वैकल्पिक)

विधि:

  • पानी को उबालें।
  • उसमें हल्दी और काली मिर्च पाउडर डालें।
  • इसे 5 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं।
  • गैस बंद करके इसे छान लें।
  • स्वाद के लिए शहद और नींबू का रस मिला सकते हैं।
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