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Income Tax भरने वालों के लिए राहत भरी खबर,ब्याज माफी का अधिकार अफसरों को मिला

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Income Tax

Income Tax का बोझ उठाने वालों के लिए राहत की खबर है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने टैक्सपेयर्स के लिए एक अहम फैसला लिया है, जिसके तहत अब कुछ विशेष स्थितियों में देय ब्याज की राशि को माफ या कम किया जा सकता है।

यह राहत ऐसे मामलों के लिए है, जहां टैक्सपेयर्स को टैक्स डिमांड के अनुसार देय टैक्स न चुकाने पर ब्याज चुकाना होता है। यह फैसला ब्याज की राशि को माफ करने के लिए कुछ सीमाएं तय करते हुए CBDT ने जारी किया है, जो निश्चित शर्तों के अधीन है।

इस निर्णय का सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा, जिनके पास देय टैक्स की बकाया राशि है और उन्हें ब्याज की भारी राशि चुकानी पड़ रही है।

CBDT द्वारा जारी नए सर्कुलर में इनकम टैक्स अधिकारियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे कुछ शर्तों के तहत ब्याज की राशि को माफ करने का निर्णय ले सकते हैं। यह फैसला उन मामलों में लागू होगा, जहां टैक्सपेयर्स ब्याज की भारी रकम चुकाने में असमर्थ हैं, या कुछ अन्य विशिष्ट परिस्थितियों के कारण ऐसा करना उनके लिए मुश्किल है।

कैसे होता था ब्याज का हिसाब?

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 220(2) के तहत यह व्यवस्था है कि अगर टैक्सपेयर को टैक्स डिमांड नोटिस (धारा 156 के तहत) प्राप्त होता है और वह उस निर्धारित अवधि में टैक्स का भुगतान नहीं कर पाता, तो उसे उस बकाया राशि पर ब्याज देना होता है।

यह ब्याज हर महीने के लिए एक प्रतिशत की दर से लगाया जाता है, जो सीधे-सीधे टैक्सपेयर्स की जेब पर अतिरिक्त बोझ बन जाता है। ऐसे में जिन टैक्सपेयर्स की आर्थिक स्थिति इस ब्याज को चुकाने में बाधक है, उनके लिए यह माफी एक बड़ी राहत मानी जा रही है।

किन अधिकारियों को मिलेगा ब्याज माफी का अधिकार?

CBDT ने इस नई नीति के तहत ब्याज माफी के लिए अलग-अलग स्तर के अधिकारियों के लिए सीमाएं निर्धारित की हैं। ब्याज माफी या कटौती का अधिकार प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर, चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर और कमिश्नर रैंक के अधिकारियों को दिया गया है। इसके तहत निम्नलिखित स्तरों पर ब्याज माफी का प्रावधान किया गया है:

1. प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर: डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की देय ब्याज राशि को माफ करने का निर्णय प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर रैंक के अधिकारी ले सकते हैं। इसका मतलब है कि अगर किसी टैक्सपेयर पर डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का ब्याज बकाया है, तो उसकी माफी का निर्णय प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर स्तर के अधिकारी ही कर सकेंगे।

2. चीफ कमिश्नर: यदि देय ब्याज की राशि 50 लाख रुपये से डेढ़ करोड़ रुपये के बीच है, तो चीफ कमिश्नर रैंक के अधिकारी इस ब्याज को माफ करने या कम करने का निर्णय ले सकते हैं।

3. प्रिंसिपल कमिश्नर या कमिश्नर: 50 लाख रुपये तक के देय ब्याज की माफी का अधिकार प्रिंसिपल कमिश्नर या कमिश्नर रैंक के अधिकारियों को दिया गया है। यह व्यवस्था छोटे टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए की गई है, जिनके ऊपर ज्यादा बड़ा ब्याज नहीं है, लेकिन फिर भी वे इस ब्याज को चुकाने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।

ब्याज माफी के लिए क्या होंगी शर्तें?

CBDT के सर्कुलर में ब्याज माफी की अनुमति केवल उन परिस्थितियों में दी गई है, जहां कुछ विशेष शर्तें पूरी होती हैं। ये शर्तें इस प्रकार हैं:

1. आर्थिक असमर्थता: अगर टैक्सपेयर पर इतनी बड़ी ब्याज राशि बकाया हो, कि उसे चुकाना बेहद कठिन हो। ऐसी स्थिति में अधिकारियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे टैक्सपेयर की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करते हुए ब्याज माफी पर विचार कर सकते हैं।

2. अपरिहार्य परिस्थितियां: अगर टैक्सपेयर किसी ऐसी परिस्थिति में है, जो उसके नियंत्रण में नहीं है, और इसी कारण से वह ब्याज नहीं चुका पा रहा है। यह परिस्थिति प्राकृतिक आपदा, किसी गंभीर बीमारी, या अन्य अप्रत्याशित घटनाओं के कारण हो सकती है, जो टैक्सपेयर को ब्याज चुकाने से वंचित कर रही हों। ऐसी स्थिति में अधिकारी ब्याज माफी पर विचार कर सकते हैं।

3. सहयोगपूर्ण व्यवहार: अगर टैक्सपेयर ने बकाया टैक्स की रिकवरी के प्रयासों में और असेसमेंट प्रक्रिया में अधिकारियों से पूरा सहयोग किया हो, तो ऐसे मामलों में भी ब्याज माफी पर विचार किया जा सकता है। यह माफी उन टैक्सपेयर्स के लिए हो सकती है, जिन्होंने सरकार के साथ सहयोगात्मक व्यवहार दिखाया हो और अपने बकाया का निपटान करने की मंशा जताई हो।

CBDT का उद्देश्य और उम्मीदें

CBDT का यह कदम टैक्स प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे न केवल उन टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी, जिनके ऊपर ब्याज का बड़ा बोझ है, बल्कि टैक्स अधिकारियों को भी ऐसी स्थितियों में निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलेगी, जहां ब्याज माफी से सरकार और टैक्सपेयर्स के बीच बेहतर तालमेल बन सकता है।

इस कदम से यह भी उम्मीद की जा रही है कि टैक्सपेयर्स में कर अनुपालन के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। ब्याज माफी की यह छूट उन टैक्सपेयर्स के लिए एक प्रोत्साहन हो सकती है, जो आर्थिक तंगी के चलते अपने टैक्स का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। सरकार की इस पहल से करदाताओं में भरोसा बढ़ेगा और उन्हें यह महसूस होगा कि सरकार उनकी कठिनाइयों को समझते हुए मदद के लिए तैयार है।

विशेषज्ञों की राय

टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम टैक्सपेयर के हित में है। ब्याज माफी की इस नीति से कर प्रणाली में सुधार होगा और करदाताओं के लिए एक सहयोगात्मक माहौल बनेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे निर्णयों से टैक्सपेयर्स की आर्थिक स्थिति को समझने और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने में मदद मिलेगी।

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