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Global Economy Forum: दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली Economy India नहीं

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दुनिया की बड़ी Economy ओं में India का नाम सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकॉनमी के तौर पर गूंज रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर सभी देशों को एक साथ जोड़ दिया जाए, तो पांच ऐसे देश हैं जो India से आगे निकल रहे हैं? चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से एक देश हाल ही में अस्तित्व में आया है और उसकी Economy India की तुलना में बेहद छोटी है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के नवीनतम अनुमानों के आधार पर खबर बाजार आपके लिए लाया है यह विशेष रिपोर्ट, जिसमें हम बताएंगे कि कौन हैं ये देश, क्या है इनकी रफ्तार, और कैसे ये India को पीछे छोड़ रहे हैं। आइए, इस आर्थिक कहानी के 5W और 1H (कौन, क्या, कब, कहां, क्यों, और कैसे) को विस्तार से समझते हैं।

कौन हैं ये पांच देश?

आईएमएफ के 2025 के अनुमानों के मुताबिक, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली Economy  का ताज साउथ सूडान के सिर पर होगा। इसके बाद गुयाना, लीबिया, सेनेगल और पलाउ जैसे देश India से आगे रहेंगे। ये सभी देश अपनी जीडीपी वृद्धि दर के मामले में India को मात दे रहे हैं। India की विकास दर 2025 में 6.5% रहने की उम्मीद है, लेकिन इन देशों की रफ्तार इससे कहीं ज्यादा है। साउथ सूडान की वृद्धि दर 27.2%, गुयाना की 14.4%, लीबिया की 13.7%, सेनेगल की 9.3%, और पलाउ की 8.5% रहने का अनुमान है।

क्या हो रहा है इन देशों में?

इन देशों की तेजी का कारण उनकी विशिष्ट आर्थिक परिस्थितियां और छोटा आधार प्रभाव (low base effect) है। साउथ सूडान, जो जुलाई 2011 में स्वतंत्र हुआ, तेल उत्पादन और निर्यात से अपनी Economy  को गति दे रहा है। हालांकि, यह देश अभी भी आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है, लेकिन तेल की बदौलत इसकी वृद्धि दर आसमान छू रही है। गुयाना में 2015 में तेल भंडार की खोज के बाद से आर्थिक क्रांति आई है, जिसने इसे कैरेबियाई क्षेत्र का सितारा बना दिया। लीबिया भी तेल उत्पादन में सुधार और स्थिरता से लाभ उठा रहा है। सेनेगल पश्चिम अफ्रीका में उभरती Economy ओं में से एक है, जहां तेल और गैस परियोजनाओं ने विकास को रफ्तार दी है। वहीं, पलाउ जैसे छोटे द्वीप देश में पर्यटन और विदेशी सहायता ने Economy  को मजबूती दी है।

कब और कहां दिख रही है यह तेजी?

यह आंकड़े 2025 के लिए आईएमएफ के अनुमानों पर आधारित हैं, जो वैश्विक आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। साउथ सूडान पूर्वी अफ्रीका में, गुयाना दक्षिण अमेरिका के उत्तरी तट पर, लीबिया उत्तरी अफ्रीका में, सेनेगल पश्चिम अफ्रीका में, और पलाउ प्रशांत महासागर में स्थित है। इन देशों की भौगोलिक स्थिति और संसाधन उनकी तेजी का आधार हैं। India, जो एशिया में एक विशाल बाजार और आबादी वाला देश है, इन छोटे देशों से प्रतिशत वृद्धि में पीछे रह सकता है, लेकिन इसका कुल आर्थिक आकार इनसे कहीं बड़ा है।

क्यों है India से आगे ये देश?

इन देशों की तेजी का सबसे बड़ा कारण उनका छोटा आर्थिक आधार है। उदाहरण के लिए, साउथ सूडान की Economy  का आकार 2025 में मात्र 5.3 अरब डॉलर होगा, जबकि India की इकॉनमी 4.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यानी India की Economy  साउथ सूडान से 804 गुना बड़ी है। इसी तरह, गुयाना की जीडीपी 20 अरब डॉलर के आसपास रहने का अनुमान है। छोटे आधार पर थोड़ा सा विकास भी प्रतिशत में बड़ी छलांग दिखाता है। इसके अलावा, तेल, पर्यटन, और विदेशी सहायता जैसे विशिष्ट संसाधन इन देशों को आगे ले जा रहे हैं। India एक विविध और विशाल Economy  है, जिसकी वृद्धि स्थिर लेकिन धीमी हो सकती है।

कैसे हो रही है यह तुलना?

आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे संगठन जीडीपी वृद्धि दर को मापने के लिए सालाना प्रतिशत वृद्धि का इस्तेमाल करते हैं। India की 6.5% की वृद्धि दर बड़ी Economy ओं (1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक) में सबसे ज्यादा है। लेकिन जब सभी देशों को शामिल किया जाता है, तो छोटे देश अपनी ऊंची प्रतिशत वृद्धि के कारण आगे निकल जाते हैं। हालांकि, कुल जीडीपी और आर्थिक प्रभाव के मामले में India इन देशों से कहीं आगे है।

बड़ी Economy में India का दबदबा

बड़ी Economy ओं की बात करें तो India का कोई सानी नहीं है। 19 देशों की सूची में, जिनकी जीडीपी 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है, India सबसे तेजी से बढ़ रहा है। इसके बाद इंडोनेशिया का नंबर आता है, जहां 5.1% की वृद्धि के साथ Economy  1.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। सऊदी अरब (4.6%, 1.1 ट्रिलियन डॉलर), चीन (4.5%, 19.5 ट्रिलियन डॉलर), और तुर्की (2.7%, 1.7 ट्रिलियन डॉलर) भी इस सूची में शामिल हैं। लेकिन इन सभी की तुलना में India की रफ्तार और आर्थिक आकार का संतुलन इसे खास बनाता है।

South Sudan और Guyana: छोटे देश, बड़ी रफ्तार

साउथ सूडान और गुयाना की कहानी सबसे रोचक है। साउथ सूडान, जो 2011 में सूडान से अलग होकर बना, अभी भी विकासशील देशों की श्रेणी में है। इसकी 1.15 करोड़ आबादी और 644,329 वर्ग किमी क्षेत्र के बावजूद, तेल इसकी Economy  का आधार है। दूसरी ओर, गुयाना की 8 लाख आबादी और तेल की खोज ने इसे 14.4% की वृद्धि दर तक पहुंचाया है। ये दोनों देश छोटे हैं, लेकिन उनकी रफ्तार India को चुनौती दे रही है।

India का असली महत्व

हालांकि ये पांच देश प्रतिशत वृद्धि में India से आगे हैं, लेकिन India का असली महत्व उसकी विशाल Economy  और स्थिरता में है। 4.3 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी के साथ India दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी Economy  है। इन छोटे देशों की कुल जीडीपी India के एक छोटे से हिस्से के बराबर भी नहीं है। India का बाजार, जनसंख्या, और वैश्विक प्रभाव इन देशों से कहीं आगे है।

Writer’s Analysis

दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली Economy  का ताज भले ही साउथ सूडान, गुयाना, लीबिया, सेनेगल, और पलाउ जैसे देशों के पास हो, लेकिन India का आर्थिक कद इनसे कहीं ऊंचा है। ये छोटे देश अपनी खास परिस्थितियों और संसाधनों के दम पर तेजी दिखा रहे हैं, लेकिन India की स्थिर और विविध Economy  इसे वैश्विक मंच पर मजबूत बनाए रखती है। क्या आप इन देशों की तेजी से हैरान हैं, या India के दबदबे से संतुष्ट? अपनी राय हमें जरूर बताएं।

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USA नाराज? Russia से तेल खरीदने में भारत बना Global Leader

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रूसी तेल पर USA  द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का भारत पर कोई खास असर नहीं दिख रहा है। भारत ने रूस से तेल खरीदना फिर से तेज कर दिया है। जनवरी और फरवरी की तुलना में मार्च में रूस से तेल आयात में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के प्रशासन ने जनवरी में रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे, जिनमें रूसी तेल निर्यात को सीमित करने की भी शर्तें शामिल थीं। इसके बावजूद, कुछ नियमों और परिस्थितियों के चलते रूस ने भारत को फिर से बड़ी मात्रा में तेल बेचना शुरू कर दिया है।

रूस से भारत का तेल आयात क्यों बढ़ा?

भारत ने मार्च 2024 में रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदा है। रूस का तेल (Russian Oil) अन्य स्रोतों की तुलना में सस्ता और आसानी से उपलब्ध हो रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस का ज्यादातर तेल 60 डॉलर प्रति बैरल से कम कीमत पर उपलब्ध है। इससे भारत को तेल आयात करने के लिए बिना पाबंदी वाले जहाज आसानी से मिल रहे हैं।

रूस के पास अतिरिक्त तेल उपलब्ध होने की एक बड़ी वजह यह भी है कि यूक्रेन ने रूसी तेल कारखानों पर ड्रोन हमले किए हैं। इन हमलों के कारण रूस में तेल की खपत कम हो गई है और वह अपने तेल को वैश्विक बाजार में बेचने को मजबूर हो गया है। नतीजतन, रूस भारत को सस्ती दरों पर अधिक मात्रा में तेल की आपूर्ति कर रहा है।

कितना तेल खरीदा भारत ने?

तेल बाजार पर नजर रखने वाली रिसर्च फर्म केप्लर (Kpler) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च के पहले 21 दिनों में भारत ने रूस से औसतन 1.85 मिलियन बैरल प्रतिदिन (bpd) कच्चा तेल खरीदा है। फरवरी में यह आंकड़ा 1.47 मिलियन बैरल प्रतिदिन था, जबकि जनवरी में 1.64 मिलियन बैरल प्रतिदिन रहा था। इसका साफ मतलब है कि भारत ने मार्च में रूस से पहले की तुलना में अधिक तेल खरीदा है। मार्च में भारत द्वारा कुल खरीदे गए तेल में रूस की हिस्सेदारी 35% से अधिक रही, जबकि फरवरी में यह 31% और जनवरी में 33% थी। यह इंगित करता है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत लगातार रूस से तेल खरीदने की प्रक्रिया को बढ़ा रहा है।

भारत और चीन बने रूस के प्रमुख ग्राहक

जनवरी से मार्च 2024 के बीच भारत ने रूस से हर दिन औसतन 1.75 मिलियन बैरल प्रतिदिन (bpd) तेल खरीदा है। यह आंकड़ा पिछले दो वर्षों से लगभग स्थिर बना हुआ है। फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तब पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदने में कटौती कर दी थी। इसी दौरान भारत और चीन, रूस से सबसे अधिक तेल खरीदने वाले देश बनकर उभरे। 2022 से अब तक भारत और चीन रूस से लगातार बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहे हैं, जिससे रूस को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने में मदद मिली है।

रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों का असर नहीं?

जनवरी 2024 में USA  के राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। इनमें 183 तेल वाहक जहाजों (oil tankers) पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल था, जो रूस से तेल लाने और ले जाने का कार्य करते थे। साथ ही, USA  ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों और कुछ बीमा कंपनियों पर भी सख्त पाबंदियां लगा दी थीं। हालांकि, इन प्रतिबंधों के बावजूद भारत और चीन रूस से तेल खरीदने में अग्रणी बने हुए हैं। भारत और अन्य एशियाई देश अब ऐसे जहाजों और बीमा कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं, जिन पर USA  की पाबंदी लागू नहीं होती।

अमेरिकी बैन के बावजूद रूस कैसे बेच रहा है तेल?

अब सवाल यह उठता है कि जब USA  ने रूस के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है, तो फिर भारत और अन्य देश रूस से तेल कैसे खरीद रहे हैं? दरअसल, USA  और G7 देशों ने एक नियम लागू किया है, जिसके अनुसार यदि रूस का तेल 60 डॉलर प्रति बैरल से कम कीमत पर बिकता है, तो पश्चिमी देशों की जहाज कंपनियां और बीमा कंपनियां रूस से तेल लाने-ले जाने में मदद कर सकती हैं। केप्लर के डेटा के अनुसार, रूस से भारत आ रहे सभी तेल जहाज उन कंपनियों से जुड़े हैं, जिन पर किसी प्रकार की पाबंदी नहीं है। यही कारण है कि रूस से तेल की आपूर्ति निर्बाध रूप से जारी है।

भारत को क्या लाभ हो रहा है?

  • सस्ता तेल: रूस का तेल पश्चिमी बाजारों की तुलना में काफी सस्ता मिल रहा है।
  • ऊर्जा सुरक्षा: रूस से तेल खरीदने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हो रही है।
  • निरंतर आपूर्ति: पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद रूस से भारत को तेल की आपूर्ति बाधित नहीं हुई है।
  • बाजार स्थिरता: सस्ते रूसी तेल के कारण भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में स्थिरता बनी हुई है।

क्या आगे भी जारी रहेगा यह ट्रेंड?

रूस और भारत के बीच तेल व्यापार को लेकर भविष्य में भी यह ट्रेंड जारी रहने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक पश्चिमी देशों के प्रतिबंध रूस को वैश्विक बाजार में पूरी तरह अलग-थलग नहीं कर देते, तब तक भारत और चीन रूस से तेल खरीदते रहेंगे। हालांकि, यदि USA  और G7 देश भविष्य में 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा को और कम करने का फैसला लेते हैं, तो इससे रूस से तेल खरीदना मुश्किल हो सकता है। लेकिन फिलहाल, भारत के लिए रूस से तेल आयात करना लाभकारी बना हुआ है।

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शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल! Sensex 900 अंक चढ़ा, Investors को इतने लाख करोड़ का फायदा

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भारतीय शेयर बाजार ने मंगलवार को शानदार रैली के साथ Investors  को मालामाल कर दिया। बाजार खुलते ही Sensex  और निफ्टी ने लंबी छलांग लगाई, जिससे बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 4.03 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 397.20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस तेजी से Investors  को तगड़ा मुनाफा हुआ।

भारतीय शेयर बाजार के Sensex ने दिन की शुरुआत मजबूती के साथ की और बाजार खुलते ही हरियाली छा गई। सुबह 11 बजे तक Sensex 900 अंकों की उछाल के साथ 75,071.38 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी में 250 अंकों की तेजी दर्ज की गई। मार्केट में आई इस तेजी से Investors के चेहरे खिल उठे, और बाजार में उत्साह का माहौल बना रहा।

शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति

मंगलवार को शेयर बाजार ने शानदार शुरुआत की। बीएसई Sensex  74,608.66 अंक पर खुला और शुरुआती घंटों में ही इसमें तेजी देखने को मिली। सुबह 11 बजे तक Sensex  815.71 अंकों की बढ़त के साथ 74,985.66 तक पहुंच गया। कुछ ही देर में यह 901 अंकों की छलांग लगाकर 75,071.38 के स्तर पर पहुंच गया।

वहीं, एनएसई निफ्टी भी जबरदस्त मजबूती के साथ कारोबार करता नजर आया। सुबह 11 बजे तक निफ्टी में 239.45 अंकों की तेजी देखी गई और यह 22,748.20 के स्तर पर ट्रेड कर रहा था। दिन के दौरान यह 250 अंकों से ज्यादा उछल गया।

Investors को हुआ 4 लाख करोड़ रुपये का फायदा

इस जबरदस्त तेजी का सबसे बड़ा फायदा Investors  को हुआ। मंगलवार को बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 4.03 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 397.20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। शेयर बाजार में आई यह मजबूती Investors  के लिए किसी बड़े बोनस से कम नहीं रही।

किन शेयरों में आई सबसे ज्यादा तेजी?

मंगलवार की रैली में कई प्रमुख शेयरों ने शानदार प्रदर्शन किया, जिनमें खासतौर पर बैंकिंग और ऑटोमोबाइल सेक्टर के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखा गया।

 बैंकिंग सेक्टर: ICICI Bank – तेजी के साथ कारोबार करता दिखा Axis Bank – मजबूत ग्रोथ दर्ज की

ऑटोमोबाइल सेक्टर: Mahindra & Mahindra – शानदार प्रदर्शन Tata Motors – 1% से ज्यादा उछला, क्योंकि कंपनी ने 1 अप्रैल 2025 से अपने कमर्शियल वाहनों की कीमतों में 2% की वृद्धि की घोषणा की है।

अन्य सेक्टर: Zomato – Investors को अच्छा रिटर्न दिया IT सेक्टर – गिरावट दर्ज की गई

शेयर बाजार में तेजी के पीछे क्या कारण हैं?

एशियाई बाजारों में मजबूती: हांगकांग के शेयर बाजार में 2% की बढ़त देखने को मिली, जिससे पूरे एशियाई बाजारों में सकारात्मक रुख बना। हांगकांग का शेयर बाजार तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिससे भारतीय बाजार को भी मजबूती मिली।

चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीदें: हाल ही में चीन की अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए उठाए गए नीतिगत कदमों और बेहतर आंकड़ों ने Investors  के सेंटीमेंट को मजबूत किया।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व और भू-राजनीतिक कारक: हालांकि अमेरिका के टैरिफ, ब्याज दरों में संभावित बदलाव और वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के कारण निवेशक थोड़ी सतर्कता भी बरत रहे हैं, लेकिन फिलहाल बाजार में सकारात्मक रुख देखने को मिला।

Global Market का असर

  • हांगकांग: 2% उछाल के साथ तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
  • चीन: आर्थिक सुधार की उम्मीदों ने बाजार को मजबूती दी।
  • अमेरिका: ब्याज दरों को लेकर Investors  की सतर्कता बनी हुई है।

क्या आगे भी जारी रहेगी यह तेजी?

शेयर बाजार में आई यह तेजी Investors  के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। हालांकि, आगे बाजार की दिशा कई कारकों पर निर्भर करेगी, जिनमें फेडरल रिजर्व का ब्याज दरों पर फैसला, वैश्विक बाजारों की चाल और घरेलू नीतिगत निर्णय शामिल हैं। Investors के लिए यह समय बाजार की गतिविधियों पर करीबी नजर बनाए रखने का है। लॉन्ग-टर्म निवेशक इस तेजी का फायदा उठा सकते हैं, जबकि शॉर्ट-टर्म Investors को सतर्क रहकर निवेश करने की जरूरत होगी।

Writer’s Analysis:- मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली, जिससे Investors को भारी मुनाफा हुआ। Sensex और निफ्टी की शानदार बढ़त ने बाजार में सकारात्मक माहौल बना दिया। बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों के कुल मार्केट कैप में 4 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ।अगर वैश्विक बाजारों का सपोर्ट जारी रहता है और भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलते हैं, तो यह तेजी आगे भी जारी रह सकती है। हालांकि, Investors  को सतर्क रहकर बाजार की दिशा पर नजर बनाए रखने की जरूरत होगी।

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