Connect with us

स्टोरीज

Israel And Russia War में फसा India का नाम! जाने क्या है वजह

Published

on

आज की दुनिया में बारूद की बारिश गाजा से लेकर यूक्रेन तक हो रही है। जहां एक ओर ये युद्ध महीनों से जारी हैं, वहीं दूसरी ओर वैश्विक हथियारों की मांग भी चरम पर पहुंच गई है। हालात ऐसे हैं कि हथियारों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता माने जाने वाले अमेरिका और अन्य नाटो देशों को यूक्रेन तक हथियार समय पर पहुंचाने में कठिनाई हो रही है।

वहीं इजरायल को भी हथियारों और गोला-बारूद की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिसे पूरा करने के लिए उसे अमेरिका से बड़ी मात्रा में हथियार लेने पड़े हैं। लेकिन वाशिंगटन ने भी कुछ हथियार देने से इनकार कर दिया है।

इस अशांत विश्व में भारत को लेकर भी हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति पर विवाद खड़ा हो गया है। आइए, इस विवाद की गहराई में जाते हैं और जानते हैं कि भारत पर किस तरह का दबाव बन रहा है।

गाजा से लेकर यूक्रेन तक: भारत की हथियार नीति पर उठे सवाल

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पश्चिमी देशों को तोप के गोले भेजे थे, जो अब यूक्रेन की सेना को पहुंचाए जा रहे हैं। रूस इस बात से नाराज हो गया है क्योंकि भारत ने तटस्थता की नीति अपनाते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध में किसी भी पक्ष को सीधे हथियार न देने का निर्णय लिया था। इसके पहले इजरायल को ड्रोन और विस्फोटक सामग्री भेजने के मुद्दे पर भारत में और फिलिस्तीन के समर्थकों के बीच विवाद हो चुका है।

गाजा युद्ध के शुरुआती दिनों में इजरायल ने भारत से तोप के गोले मांगे थे। लेकिन भारत ने यह फैसला किया कि वह इजरायल को इन हथियारों की आपूर्ति नहीं करेगा। इस कदम के पीछे कारण यह था कि भारत खुद को इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में निष्पक्ष बनाए रखना चाहता था, और रूस-यूक्रेन युद्ध में भी तटस्थता की नीति पर चल रहा है। भारत ने यह स्पष्ट किया है कि वह किसी भी देश को घातक हथियार नहीं देगा, खासकर उन देशों को जो युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं।

इजरायल के लिए हथियारों की आपूर्ति पर भारत का जवाब

रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल को भारत से बहुत कम मात्रा में हथियार निर्यात किए जाते हैं। असल में, यह भारत ही है जो इजरायल के हथियारों पर अधिक निर्भर है। गाजा युद्ध के दौरान भारत को इजरायल से होने वाली आपूर्ति में भी कमी आई है, क्योंकि इजरायल अपने सैन्य भंडार का उपयोग खुद कर रहा है।

भारतीय रक्षा सूत्रों के अनुसार, इजरायल ने गाजा युद्ध के दौरान भारत से 155 और 105 एमएम के तोप के गोले मांगे थे। लेकिन भारत ने नीतिगत फैसला लिया कि उन्हें यह आपूर्ति नहीं की जाएगी। इजरायल खुद भी अपने वादों को पूरा करने में असमर्थ रहा है। जो हथियार इजरायल भारत को देने वाला था, वे अब इजरायल खुद के उपयोग के लिए रख रहा है।

इस स्थिति ने भारत की रक्षा आपूर्ति श्रृंखला को भी प्रभावित किया है। भारत के लिए यह एक कड़ा सबक है कि वह हथियारों के मामले में अब भी बाहरी देशों पर निर्भर है। रूस से भी भारत को हथियारों और उनके पार्ट्स की आपूर्ति बाधित हुई है, विशेषकर S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी में देरी ने भारत की रक्षा जरूरतों को गहरा झटका दिया है।

यूक्रेन तक पहुंचते भारतीय हथियार: रूस का विरोध

यूक्रेन युद्ध के बीच, भारत की हथियार नीति पर एक और विवाद खड़ा हो गया है। रिपोर्टों के मुताबिक, कुछ देशों ने भारतीय तोप के गोले खरीदकर यूक्रेन तक पहुंचाए हैं, जिससे रूस नाराज हो गया है।

रूस भारत का एक प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता है और भारत के साथ उसकी रक्षा साझेदारी दशकों पुरानी है। भारत ने यूक्रेन को सीधे हथियार न भेजने का फैसला किया है, लेकिन कुछ देश भारत से खरीदे गए गोला-बारूद को यूक्रेन भेज रहे हैं। इससे रूस के साथ भारत के रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है।

भारत ने इस स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए कई देशों को सख्त चेतावनी दी है और हथियारों की आपूर्ति पर रोक लगा दी है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी देश को हथियार तब तक नहीं देगा जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि उनका उपयोग रूस-यूक्रेन युद्ध में नहीं होगा। यह कदम भारत के तटस्थ रुख को बनाए रखने की नीति का हिस्सा है, लेकिन इसके बावजूद भारत की स्थिति मुश्किल होती जा रही है।

इजरायल, रूस और अमेरिका के बीच फंसा भारत

इजरायल-हमास संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत एक बेहद कठिन स्थिति में फंस गया है। रूस और इजरायल दोनों ही भारत के करीबी मित्र देश हैं। रूस, भारत को सबसे ज्यादा हथियारों की आपूर्ति करता है, जबकि इजरायल रक्षा तकनीक में भारत के लिए एक अहम साझेदार बन चुका है। लेकिन इन दोनों देशों के बीच चल रहे अलग-अलग संघर्षों के कारण भारत को अपने हथियार निर्यात और आयात की नीतियों को संतुलित करना पड़ रहा है।

इजरायल के मामले में, भारत ने कई बार हथियारों की आपूर्ति रोकने का फैसला किया है, लेकिन इसके चलते इजरायल से होने वाली रक्षा सामग्री की सप्लाई भी प्रभावित हो रही है।

हालांकि, इजरायल की कुछ कंपनियां भारत में निर्माण करती हैं और उनकी बनाई गई कुछ सामग्री इजरायल भेजी जाती है, लेकिन हालात लगातार जटिल होते जा रहे हैं। वहीं रूस से भी हथियारों और उनके पार्ट्स की आपूर्ति बाधित हो रही है। भारत के पास अब भी S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की दो इकाइयां नहीं पहुंची हैं, जो उसकी सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।

भारत की तटस्थता: क्या यह नीतिगत मजबूरी है?

भारत का यह रुख कि वह किसी भी देश को सीधे तौर पर घातक हथियार नहीं देगा, उसकी दीर्घकालिक तटस्थ नीति का हिस्सा है। भारत की यह नीति अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी छवि को एक शांतिप्रिय देश के रूप में प्रस्तुत करती है। लेकिन बदलते वैश्विक परिदृश्य में जहां युद्ध और संघर्ष की स्थिति बनी हुई है, यह तटस्थता भारत के लिए चुनौती भी बन गई है।

रूस और इजरायल जैसे पुराने साझेदारों के बीच संतुलन बनाना अब एक कठिन कार्य हो गया है। खासकर जब अमेरिका और नाटो देशों से लेकर रूस तक, सभी भारत से अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग कर रहे हैं।

भारत के लिए चुनौती यह है कि वह कैसे अपने सामरिक हितों को सुरक्षित रखते हुए अपने मित्र देशों के साथ संबंधों को भी मजबूत बनाए रखे। इसके लिए भारत को अपनी रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने की जरूरत है, ताकि वह किसी बाहरी देश पर निर्भर न हो। भारत की हथियार नीति और उसकी तटस्थता, वर्तमान वैश्विक संघर्षों के बीच उसे एक कठिन मोड़ पर खड़ा कर रही है। जहां एक ओर भारत को अपने सामरिक हितों की रक्षा करनी है, वहीं दूसरी ओर उसे वैश्विक मंच पर अपनी छवि को भी बनाए रखना है।

इस बीच, भारत को अपने हथियार उत्पादन और निर्यात नीति पर पुनर्विचार करना होगा, ताकि वह अपने मित्र देशों की उम्मीदों पर भी खरा उतरे और अपने सुरक्षा हितों को भी सुरक्षित रख सके।

भारत का यह कूटनीतिक संतुलन आने वाले समय में उसकी वैश्विक भूमिका को परिभाषित करेगा।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version